Shravan month 2024 (श्रावण मास) : अपने भारत देश में श्रावण का महीने का क्या है इतना वैशिष्ठ्य ।

Shravan Month : हर साल पूरे भारतवर्ष मे श्रावण या सावन का महिना बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है , इस महीने को श्रावण या सावन मास भी कहते है । पूरे भारत मे इस महीने का बेहद ज्यादा महत्व है । यह मास बारिश का मौसम शुरू होते ही आता है और बड़ी धूमधाम से भारत के बहुतसे राज्यों मे मनाया जाता है ।

श्रावण का महीना (Shravan Month) क्यों मनाया जाता है ?

श्रावण का महीना हमारे भगवान शिव जी को समर्पित रहता है और इस पुरे महीने में भगवान शिव को अलग अलग त्योहारों में पूजते है। लेकिन आज कल की जवान पीढ़ी ये सब भूलते जा रही है । आज कल की जवान पीढ़ी ये तो जानती है की श्रावण के महीने भगवान शिवजी को पूजा जाता है और उनके नाम पर उपवास पकड़ा जाता है , लेकिन यह नहीं जानती की वह क्यों मनाया जाता है। इसीलिए मुझे लगा की इस विषय पर लिखना जरुरी है , ताकि यह जानकारी उनके अगली पीढ़ी तक पहुंचे।

कहते है की इसी महीने में शिव जी अपनी पत्नी पार्वती से फिर से मिले थे , जोकि कुछ कारणवश बिछड़ गए थे। और ऐसा भी कहा जाता है की उन्होंने पांच सोमवार और मंगलवार कुछ न खाने का व्रत भी रखा था। शिव जी सोमवार को और उनकी पत्नी पार्वती मंगलवार को उपवास रखते थे। इसीलिए पांच सोमवार उपवास पकड़ा जाता है।

इस श्रावण के महीने में अलग अलग त्यौहार मनाये जाते है , भगवान शिव को पूजा जाता है , उपवास रखा जाता है आदि। इस माह में मनाये जाने वाले त्यौहार है , दशम व्रत , कृष्ण जन्माष्टमी , रक्षाबंधन , नारली पूर्णिमा , नागपंचमी , पोला , काजरी पूर्णिमा , पवित्र एकादशी इत्यादि।

Shravan month
Shravan month is Dedicated to Lord Shiva

Shravan month Start and End date

श्रावण का महीना ( Shravan Month )वैसे तो महाराष्ट्र को छोड़के सम्पूर्ण भारत में २२ जुलाई से चालू होता है और २९ अगस्त को ख़त्म होता है।

व्रत के पांच सोमवार है – २२ जुलाई , २९ जुलाई , ५ अगस्त , १२ अगस्त , और १९ अगस्त।

महाराष्ट्र में ये महीना चालू होता है ५ अगस्त से और ख़त्म होता है २ सितम्बर को।

महाराष्ट्र के हिसाब से व्रत के ५ सोमवार है – ५ अगस्त , १२ अगस्त , १९ अगस्त ,२६ अगस्त और २ सितम्बर।

उत्तर भारत में और महराष्ट्र में श्रावण मास की अलग अलग तिथियां क्यों होती है ?

श्रावण मास ( Shravan Month ) की अलग अलग तिथियां होने का मुख्य कारन है दोनों का अलग कैलेंडर्स को मान्यता देना है। पूरा उत्तर भारत पूर्णिमानता केलिन्डर को मानता है। इसी के मान्यता पर चंद्रमास पूर्णिमा को ख़तम होता है यानि २१ जुलाई को और इसीलिए श्रावण २१ जुलाई से चालू होता है । वही महाराष्ट्र में अमानता केलिन्डर को माना जाता है , इसी के मान्यता पर चंद्रमास अमावस्या पर खत्म होता है जो की है ५ अगस्त , और इसीलिए ५ अगस्त से श्रावण महाराष्ट्र में चालू होता है।

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